आज गणतंत्र दिवस के मौके पर जब "गण" परेशान है और "तंत्र" मजे लूट रहा है ... शब्दों में देश की इक तश्वीर बनाने की कोशिश करता हूँ ............ऐसा लगता है जैसे ये देश......
इक जहाज है
अरबों सवार हैं
और सबने डाले हुए हैं अपने अपने लंगर !
जहाज को रोके हुए हैं, बढने ही नहीं देते !
जहाज को रोके हुए हैं, बढने ही नहीं देते !
लंगर से फंसते जाते हैं लंगर, जमीन में गहरे धंसते जाते हैं लंगर !!
रेशम के रेशे वाले लंगर
कुछ पेशे वाले लंगर !
मजबूरियों के लंगर, मनमानियों के लंगर
पिछड़ों के लंगर, खानदानियों के लंगर !
स्विस-बैक की तिजोरियों के लंगर
हज़ारों करोड़ों की चोरियों के लंगर !
कुछ तंग तंग लंगर
और कुछ दबंग लंगर !
मालाओं के लंगर, टोपी के लंगर
दो जून को मिलने वाली रोटी के लंगर !
कपडे के लंगर, मकान के लंगर
सरकारी, मिलावटी दूकान के लंगर !
भगवान् वाले लंगर, इंसान वाले लंगर
बूढ़े, बच्चे जवान वाले लंगर !
लंगर से लंगर, लंगर पर लंगर
लंगर ही लंगर, लंगर दर लंगर !!
रेशम के रेशे वाले लंगर
कुछ पेशे वाले लंगर !
मजबूरियों के लंगर, मनमानियों के लंगर
पिछड़ों के लंगर, खानदानियों के लंगर !
स्विस-बैक की तिजोरियों के लंगर
हज़ारों करोड़ों की चोरियों के लंगर !
कुछ तंग तंग लंगर
और कुछ दबंग लंगर !
मालाओं के लंगर, टोपी के लंगर
दो जून को मिलने वाली रोटी के लंगर !
कपडे के लंगर, मकान के लंगर
सरकारी, मिलावटी दूकान के लंगर !
भगवान् वाले लंगर, इंसान वाले लंगर
बूढ़े, बच्चे जवान वाले लंगर !
लंगर से लंगर, लंगर पर लंगर
लंगर ही लंगर, लंगर दर लंगर !!
खादी और खाकी में छिपने वाले लंगर
गांधी छाप चादर में ढंके ना-दिखने वाले लंगर
संसद-बाज़ार में खुलेआम बिकने वाले लंगर
पैसों पे समाचारों में लिखने वाले लंगर !!
हवाले से हुए हवालों के लंगर
रोज़-रोज़ नए नए घोटालों के लंगर !!
मजहब की आग में पकती रोटीयों के लंगर
पैदा होने से पहले मार दी जाने वाली बेटियों के लंगर
नक्सलवादियों के बम धमाकों, बैंक डकैतियों के लंगर
अंतरजातीय शादियों पे फांसी देने वाली खाप, पंचैतियों के लंगर !!
समाज में सुलगते जात-पात के लंगर
चोर-बईमानों के ऐशो-आराम, ठाठ-बाट के लंगर !!
राशन-कार्ड में जिन्दा भूतों के लंगर
शहीदों के चोरी होते ताबूतों के लंगर
मुकदमें से पहले मिटते सबूतों के लंगर
पाँव में पड़ी टोपी, सर पे रख्खे जूतों के लंगर !!
हत्या, लूट, अपहरण, नरसंघार के लंगर
कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैले भ्रटाचार के लंगर !!
कमिटी और कमिटी पे बैठती कमिटियों के लंगर
दहेज़ के लिए जलती बहु-बेटियों के लंगर
बाल विवाह और बलि जैसी अनगिनत कुरीतियों के लंगर
सफ़ेद बकवासों पे बजती तालियों, सीटियों के लंगर !!
नकली नोटों के लंगर
ख़रीदे हुए वोटों के लंगर !!
झाड़-फूंक, नीम-हकीम, भूत-प्रेतों का लंगर
बुंदेलखंड के सूखे हुए, दरार वाले खेतों का लंगर
गले तक भरे हुए, एसिडिटी में उबलते पेटों का लंगर
भूख की ऐंठ से पीठ से चिपकते पेटों का लंगर !!
बात बात पे होती हड़ताल के लंगर
कभी पूरी न होने वाली जांच-पड़ताल के लंगर !!
कोस कोस पे बदलती बोलियों के लंगर
सड़क पे आवारा घुमती बेरोजगार टोलियों के लंगर
नक्सलवादियों के बम धमाकों, बैंक डकैतियों के लंगर
अंतरजातीय शादियों पे फांसी देने वाली खाप, पंचैतियों के लंगर !!
समाज में सुलगते जात-पात के लंगर
चोर-बईमानों के ऐशो-आराम, ठाठ-बाट के लंगर !!
राशन-कार्ड में जिन्दा भूतों के लंगर
शहीदों के चोरी होते ताबूतों के लंगर
मुकदमें से पहले मिटते सबूतों के लंगर
पाँव में पड़ी टोपी, सर पे रख्खे जूतों के लंगर !!
हत्या, लूट, अपहरण, नरसंघार के लंगर
कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैले भ्रटाचार के लंगर !!
कमिटी और कमिटी पे बैठती कमिटियों के लंगर
दहेज़ के लिए जलती बहु-बेटियों के लंगर
बाल विवाह और बलि जैसी अनगिनत कुरीतियों के लंगर
सफ़ेद बकवासों पे बजती तालियों, सीटियों के लंगर !!
नकली नोटों के लंगर
ख़रीदे हुए वोटों के लंगर !!
झाड़-फूंक, नीम-हकीम, भूत-प्रेतों का लंगर
बुंदेलखंड के सूखे हुए, दरार वाले खेतों का लंगर
गले तक भरे हुए, एसिडिटी में उबलते पेटों का लंगर
भूख की ऐंठ से पीठ से चिपकते पेटों का लंगर !!
बात बात पे होती हड़ताल के लंगर
कभी पूरी न होने वाली जांच-पड़ताल के लंगर !!
कोस कोस पे बदलती बोलियों के लंगर
सड़क पे आवारा घुमती बेरोजगार टोलियों के लंगर
दंगों में खेली जाने वाली खून की होलियों के लंगर
सत्येन्द्र और मंजुनाथ पे चलती गोलियों के लंगर !!
सत्येन्द्र और मंजुनाथ पे चलती गोलियों के लंगर !!
हर साल आती बाढ़ का लंगर
और टूट जाने वाले बाँध का लंगर !
गाड़ियों वाले लंगर, पैदल चलते लंगर
गले मिलते लंगर, पार्टी बदलते लंगर !
फूटपाथ पे चढ़ती कारों के लंगर
बिना इलाज़ मरते बीमारों के लंगर !
बढती आबादी का लंगर
घटती आजादी का लंगर !
गले मिलते लंगर, पार्टी बदलते लंगर !
फूटपाथ पे चढ़ती कारों के लंगर
बिना इलाज़ मरते बीमारों के लंगर !
बढती आबादी का लंगर
घटती आजादी का लंगर !
लंगर से लंगर, लंगर पर लंगर
लंगर ही लंगर, लंगर दर लंगर !!
लंगर से लंगर फंसे जातें हैं,
जमीन में नीचे ही धंसे जाते हैं,
जहाज़ को और कस के कसे जाते हैं!
लंगर से लंगर फंसे जातें हैं,
जमीन में नीचे ही धंसे जाते हैं,
जहाज़ को और कस के कसे जाते हैं!
इक्का-दुक्का कभी फटी हुई पतवार तान देता है,
ठंडी पड़ती भट्टी में मुठ्ठी भर कोयला डाल देता है !
तब दमे की मरीज़ के जैसे खांसता है इंजन,
किसी लाचार बूढ़े की तरह अपने दिन याद करता है और बडबडाता है
इक वक़्त था, इस जहाज को "सोने की चिड़िया" बुलाते थे !!
ठंडी पड़ती भट्टी में मुठ्ठी भर कोयला डाल देता है !
तब दमे की मरीज़ के जैसे खांसता है इंजन,
किसी लाचार बूढ़े की तरह अपने दिन याद करता है और बडबडाता है
इक वक़्त था, इस जहाज को "सोने की चिड़िया" बुलाते थे !!
Perfect..!! Kuchh nahi chhuta hai bhai..ekdum complete hai. Hats off..!
ReplyDeleteBhai.. aaj ke bharat ka encyclopedia hai ye kavita.. shabdheen kar diya bilkul..
ReplyDeleteNatmastak hun ..