Friday, 20 January 2012

तुम आ जाती ....

ठंड बहोत है...
वक़्त के पेड़ से, बीते लम्हों की कुछ साखें तोड़,
जमा कर दी हैं जेहन के स्टोर-रूम में।
लॉन में बैठे, यादों की अंगीठी जलाता हूँ।
आँखों में धुआं लग गया है शायद
या कुछ जमे हुए से ख्वाब पिघल गए हैं।
कि पलकों की छत से पानी टपक रहा है
बूंद बूंद तेरी आहट सुनाई देती है!!
तुम आ जाती ....

ठंड बहोत है ....
कुछ साफ़ साफ़ नहीं दीखता, कोहरा सा छाया है 
कुछ बोलते नहीं हैं, जाने किसका गुमां है?
सीने में लगता है खामोशी जल रही है शायद!
कुछ बोलते नहीं है लेकिन रह-रह के धुंआ निकलता है
सांस सांस तेरी आहट सुनाई देती है!!
तुम आ जाती ....

ठंड बहोत है ....
जो पत्ते उम्मीदों का बोझ नहीं उठा पाए, टूट गए 
जमीन पर पड़े हैं, उदास चेहरों के जैसे पीले पड़ गए हैं।
बीमार हैं, चांदनी की दूध पीकर भी ठीक नहीं होते, दम तोड़ते हैं।
हवा भी थम गयी है, पेड़ साँसे रोके खड़े हैं, टुकुर-टुकुर ताकते हैं बस बेबसी में
उदास आँखों से मोती लुढक आता है कभी तो इक आह गूंजती है 
पत्ता-पत्ता तेरी आहट सुनाई देती है !!
तुम आ जाती ....

ठंड बहोत है ....
देर रात तक जागते हूँ, 
सोने के वक़्त नींद आती ही नहीं।
आती भी है तो बता कर नहीं आती 
जैसे जाने के पहले तुमने बताया नहीं था।  
विस्की में इन्तजार के लम्हे घोलते घोलते मैं,
जाने कब रात में घुल जाता हूँ, सो जाता हूँ 
घूँट घूँट तेरी आहट सुनाई देती है !!
तुम आ जाती ....
तुम आ जाती कि तुम्हारे बिना जिन्दगी ठंडी सी हो गयी है!!!!
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कई दिनों से हमने धुप देखी नहीं है, मुद्दतों से तेरा खिला चेहरा नहीं देखा !

3 comments:

  1. ठंड बहुत है
    कि बूँद बूँद, साँस साँस, पत्ता पत्ता या घूँट घूँट जो आहट सुनाई दे रही है...वो किसी शोर से कम नही लग रही ....
    तुम आ जाती, तो कानों को सुकून मिलता ..कुछ आहट कम हो जाती..कुछ शोर कम हो जाता ..आखों को चैन मिल जाता
    कुछ ठंड कम हो जाती |

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  2. Jaane mausam se log hain ya logo se mausam hai...
    Sabko apna aaina dikha jaata h mausam..
    btw nice lines.. :)

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