आज लिखने बैठे तो गाँव की पंजाबी सलवार-कुर्ते और लम्बी चोटी वाली लड़की की याद कर बैठे, उसके SCHOOL आने-जाने के समय किसी न किसी बहाने सड़क पे निकल जाना याद आ गया. जिसने भी Malèna देखी हो, ये तश्वीर, हालात के जज्बात बयाँ करती है :) ....................
वो दोपहर की धूप और तंग रेशमी कुर्ती
चोटी से पंखा झेलती, पसीने में नहाई लड़की !!
वो धूप सेंकती नजरें और बेशर्म हवा के झोंके
दुप्पटे में छिपती और सिमटती, पलकें झुकाई लड़की !!
वो शोखिये रफ़्तार और मुजरिमे-दीदार की आहें
जुमले-कशीदे सुनती, रहगुज़र की सताई लड़की !!
वो चाल अल्हड और कमसिन हुस्ने-कयामात
हर नफ़स में बिजली गिराती, खुदा ने कैसी बनाई लड़की !!
वो बेलगाम धड़कन और चढ़ता पारा 'ग़ुलाम'
आतशे-दीदार मैं जलाती, कूचा-ए-क़ातिल से आई लड़की !!
रहगुजर : रास्ता; नफ़स : सांस; कूचा-ए-क़ातिल : क़ातिल की गली
Bhai...Ustaad ho ekdum!
ReplyDeleteKamaal likhte ho...sab ek se ek.
Thanks Khanna !!
ReplyDeleteBhai humne aapko bhi padha hai...fan ..aur ab ki jaban se taarif sun kar achcha laga :)
Bahut khoob sir.. behtareen rachna..
ReplyDelete//दुप्पटे में छिपती और सिमटती, पलकें झुकाई लड़की !!
//जुमले-कशीदे सुनती, रहगुज़र की सताई लड़की !!
waah ..
kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega..
palchhin-aditya.blogspot.com
Dhanyawaad Aditya !!
ReplyDeleteWaqt se mile to jamana gujar gaya hai dost :)
aakhiri mile the jab ghadi men waqt dekhna nahin aata tha :(
Waqt mile na mile aayenge jarur aapki blog par!!