बात वाज़िब है कि खुद को दिल से दूर रखें
दिल को दिल कि बातों में ही मगरूर रखें !!
रात कि चादर पे नींद कि सिलवटों से लिखे
दो चार ख्वाब सिरहाने में जरुर रखें !!
अपने दर्द कि खबर आँखों को ना जाए कहीं
जुनुए-चश्मे-मयफ़रोशी में खुद को चूर रखें !!
कि हरेक तुफां में साक़ी का सहारा हो जरुरी
वक़्त के हाथों खुद को यों ना मजबूर रखें !!
बेसाख्ता राहों पे नजरें बिछाये कोई तो होगा
हर सफ़र से पहले इतना तो सरुर रखें !!
जुनुए-चश्मे-मयफ़रोशी : नशीली आँखों का जुनू; बेसाख्ता : कठिन
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