रात की रसोई में, जश्न का माहौल है
मुद्दतों बाद, रात, छत पे यार से मिले हैं !
रात भर, आज हम, जश्न मनाएंगे !!
आसमान के काले कडाहे में
सितारों के पकोड़े तल रही है रात !
चाँद का पापड़ थोडा सा जल गया है, पर नमकीन है,
सोन्ही-सोन्हाई सी चांदनी है आज रात !
मुद्दतों बाद, रात, छत पे यार से मिले हैं !
रात भर, आज हम, चूल्हा जलाएंगे !!
कहकशां की जलेबी पे चाशनी चढ़ा रही है,
आँखों के दूध में वो केसर मिला रही है
हर शय का रंग गुलाबी है आज रात !
मुद्दतों बाद, रात, छत पे यार से मिले हैं !
रात भर, आज हम, मुद्दतें बिताएंगे !!!!
No comments:
Post a Comment