Saturday, 14 July 2012

जब दोस्त मिल जाते हैं।


फुर्सत की जमीन पर कुछ लम्हे उग आते हैं,
यादों के चेहरे खिल जाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

मौका मिलते ही टांग खिंच लेते हैं,
और लडखडाओ तो गले लगाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

किसी से कहना मत, और बात शुरू होती है,
मजे ले-लेके यारों के किस्से सुनाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

घंटों बैठे पत्ते खेलते हैं और पत्ते पीते हैं,
इक बात बुझने से पहले दूसरी जलाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

वक़्त के ramp पर कोई कहानी उतार देते है,
और फिगर नापते हैं, अपने अपने version सुनाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

बातों की खिचड़ी पकाते हैं और जाम के साथ परोसते हैं,
कोई रोता है तो पहले हँसते हैं, फिर समझाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

कोई भाषण देता है, कोई चुटकुले सुनाता है,
कुछ बहस करते हैं, रस लेते हैं, गालियाँ सुनाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

आँखों की चमक में ही आने वाली बात दिख जाती है,
इशारों की सुई से पूरा जाल बुन लेते हैं, शिकारी हैं, फंसाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

वक़्त की साख के पत्तें है, एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं,
मरखंडे हैं, झुण्ड बनाते हैं, जिन्दगी को सिंह दिखाते हैं,
बड़ा अच्छा लगता है जब कुछ दोस्त मिल जाते हैं!

मिलते रहना मेरे दोस्त कि कुछ लम्हे और चुराने हैं जिन्दगी से हमें! 
मिलते रहना मेरे दोस्त कि ढेरों किस्से बाकी हैं सुनाने को अभी!!

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