Saturday, 4 August 2012

पंचनामा


पड़ोस में कल दिन-दहाड़े
किसी का क़त्ल हो गया!
वो पूछते हैं,
पर हमने तो कुछ देखा ही नहीं!
वो पूछते हैं,
पर हमने तो कोई आवाज सुनी ही नहीं!
वो पूछते हैं,
वो पूछते रहते हैं, घुमा-फिरा कर,
पर हम चुप हैं,
क्यूं बात करें गुजरे कल की?
हम तो सोये हुए थे,
आने वाले कल के आँचल से मूंह ढँक कर,
इक हसीं ख्वाब में खोये हुए थे,
वो दिखाते हैं आँचल पे खून के छींटे!!
वो जेब टटोलते हैं,
रूह तलाशते हैं, पर मिलती नहीं है!
वो पंचनामा तैयार करते हैं,
और लिखते हैं:
"अपने ही जमीर के खून से लथ-पथ 
इक और जिन्दा लाश पायी गयी"!!

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