हंसी की बोली बता दो भाई!
क्या है भाषा हंसी की?
किस जिले, राज्य, देश की है?
कहाँ से माइग्रेट होकर आई है?
चुप क्यूं हो? बातें करो! जवाब है तो दे दो!
चलो आंसू का रंग बतला दो!
गोरा है, काला है या सांवला है?
दिल में सबके वोही लाल खून उबलता है,
और पलकों के टप्पर से वोही खारा पानी टपकता है
ऐसा करो, दर्द की जात ही बता दो
चमड़े उतारने वाला शुद्र है या
उपवास में भूखे पेट बैठा ब्राह्मण है
चुप क्यूं हो? बातें करो! जवाब है तो दे दो!
कोई ख़ुशी का ही खानदान बता दो
किसी जमींदार के घर पैदा हुई है?
मजदूर के घर पली-बड़ी है?
या नाजायज है?
है तो वैसे है बदचलन बड़ी, किसी के भी चेहरे से लग जाती है!
कुछ नहीं तो विश्वास का ओहदा बता दो
दस्तखत करता है कि
अंगूठे का ठप्पा लगाता है?
नकद ही खरीदता है या उधारी भी चलती है?
चुप क्यूं हो? बातें करो! जवाब है तो दे दो!
इन अहसासों को जोड़ के फिर जो इंसान बनता है
क्यूं उसकी बोली, रंग, जात, खानदान और ओहदे की बातें करते हो?
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जवाब है तो दे दो, वरना समेटो ये नाप-तोल का धंधा!
रख दो अपने-अपने तराजू जमीं पर,
और उतार दो इंसानों को, जो बटखरे बना कर चढ़ा रखें हैं।