हाथ में डंडा लिए इक
मुरझाया सा झंडा लिए इक
बड़बडाती, डगमगाती चल रही है,
66 साल की इक बेजार बुढ़िया!
घर के झगडे में चोटें आई है
अपने ही बच्चों की सताई है
तेज बुखार में जल रही है,
66 साल की इक बीमार बुढ़िया!!
कफ़न का कुर्ता बना के ले गए बच्चे
चमड़ी का जूता बना के ले गए बच्चे
रोती है घुट-घुट के, पिघल रही है,
66 साल की इक लाचार बुढ़िया!!
दफनायेंगे या जला देंगे? किस धरम की है?
जाने क्यूं जिन्दा है बेवा? किस करम की है?
थके सूरज के जैसे ढल रही है,
66 साल की इक बेकार बुढ़िया!!
कहती है मर जाऊं तो इक मजार बनवा देना
नेम-प्लेट पे निम्नलिखित ब्योरा लिखवा देना!!
नाम: आजादी
D.O.B. 15 अगस्त 1947
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