Tuesday, 14 August 2012

आज़ादी


हाथ में डंडा लिए इक
मुरझाया सा झंडा लिए इक
बड़बडाती, डगमगाती चल रही है,
66 साल की इक बेजार बुढ़िया!

घर के झगडे में चोटें आई है
अपने ही बच्चों की सताई है
तेज बुखार में जल रही है,
66 साल की इक बीमार बुढ़िया!!

कफ़न का कुर्ता बना के ले गए बच्चे
चमड़ी का जूता बना के ले गए बच्चे
रोती है घुट-घुट के, पिघल रही है,
66 साल की इक लाचार बुढ़िया!!

दफनायेंगे या जला देंगे? किस धरम की है?
जाने क्यूं जिन्दा है बेवा? किस करम की है?
थके सूरज के जैसे ढल रही है,
66 साल की इक बेकार बुढ़िया!!

कहती है मर जाऊं तो इक मजार बनवा देना
नेम-प्लेट पे निम्नलिखित ब्योरा लिखवा देना!!
नाम: आजादी
D.O.B. 15 अगस्त 1947
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


Saturday, 4 August 2012

पंचनामा


पड़ोस में कल दिन-दहाड़े
किसी का क़त्ल हो गया!
वो पूछते हैं,
पर हमने तो कुछ देखा ही नहीं!
वो पूछते हैं,
पर हमने तो कोई आवाज सुनी ही नहीं!
वो पूछते हैं,
वो पूछते रहते हैं, घुमा-फिरा कर,
पर हम चुप हैं,
क्यूं बात करें गुजरे कल की?
हम तो सोये हुए थे,
आने वाले कल के आँचल से मूंह ढँक कर,
इक हसीं ख्वाब में खोये हुए थे,
वो दिखाते हैं आँचल पे खून के छींटे!!
वो जेब टटोलते हैं,
रूह तलाशते हैं, पर मिलती नहीं है!
वो पंचनामा तैयार करते हैं,
और लिखते हैं:
"अपने ही जमीर के खून से लथ-पथ 
इक और जिन्दा लाश पायी गयी"!!